मेरी कोच्चि और कुमारकोम यात्रा


किस की तलाश है हमें, किस के असर में हैं।
जब से चले हैं घर से, मुसलसल सफ़र में हैं।

तो आज हम एक और सफर की शुरुआत कर रहे हैं, यह सफर है केरल के शहर कोच्चि का, जिसे कोचीन भी कहा जाता है, इस सफर में जानने की कोशिश करेंगे कि कोच्चि में कौन कौन सी जगह घूमने के लिए बेस्ट हैं और वहां तक कैसे पहुंचा जा सकता है। 


मेरा बैग तैयार है, इस वक्त सुबह के 3 बज रहे हैं और मैं भी अब घर से निकलने के लिए बिलकुल रेडी हूं, चलिए फिर यह सुहाना सफर शुरू करते हैं।

यह इंडिगो की फ्लाइट है जो कि रनवे पर आ चुकी है और टेक ऑफ होने के लिए एकदम रेडी है। हवाई सफर में टेक ऑफ और लैंडिंग का नज़ारा मुझे हमेशा रोमांचित करता आया है और इसीलिए मैं हमेशा विंडो सीट लेता हूं। हालांकि साइड सीट लेने पर फ्लाइट में टहलने और वाशरूम वगैरह जाने में आसानी रहती है, पर विंडो सीट का अपना ही मज़ा है। सफर अगर लंबा है तो मैं विंडो पर सर टिका कर सो भी जाता हूं।


सुबह एकदम निकलने को है, IGI एयरपोर्ट के ऊपर से आगे जाते हुए नज़ारा बहुत ही दिलकश है। मैने 10 दिन पहले ही टिकट बुक करा लिया था इसलिए मुझे नई दिल्ली से कोचीन के लिए इकोनॉमी क्लास का एयर टिकट लगभग 8 हज़ार का पड़ा है, बिजनेस क्लास में 16 के करीब का ऑप्शन था। बाई एयर दिल्ली से कोच्चि लगभग 3 घंटे का सफर है।


अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हैं तो नई दिल्ली से केरल एक्सप्रेस से सफर कर सकते हैं जो कि एर्नाकुलम टाउन तक की सबसे तेज़ ट्रेन है और लगभग 44 घंटे 45 मिनट में 2811 किलोमीटर की दूरी तय करती है। जिसमें सेकंड एसी का किराया लगभग 3500 और थर्ड AC का किराया 2500 रुपए के करीब आता है।


कोच्चि लक्षद्वीप सागर के तट पर बसा हुआ एक बड़ा बंदरगाह शहर है। कोच्चि को एर्नाकुलम भी कहा जाता है, जिसका मतलब शहर का मुख्यभूमि भाग यानी Main land part है। कोच्चि नगर निगम तकरीबन 95 स्क्वायर किलोमीटर के एरिया में फैला हुआ है। कोच्चि केरला स्टेट का दूसरा सबसे ज्यादा पॉपुलेशन वाला शहर है, हालांकि शहरी आबादी के हिसाब से यह केरल का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है। साल 2024 के अंत तक यहां के मेट्रो क्षेत्र की आबादी 35 लाख होने का अनुमान है।


कोच्चि 14वीं शताब्दी से ही भारत की पश्चिमी तटरेखा का मसालों के व्यापार का सेंटर रहा है, अरब सागर की रानी' के नाम से मशहूर कोच्चि टॉप रेटेड इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में से एक है जहाँ छुट्टियां मनाने आने वालों को प्री हिस्टोरिक, ऐतिहासिक और आधुनिक युग की झलक बेहद करीब से देखने के लिए मिलती है। 


कोच्चि असल में केरल का दिल है। यह शहर की फाइनेंशियल कैपिटल है जहाँ आईटी सहित कई अन्य कारोबार फल-फूल रहे हैं क्योंकि यह देश के प्रमुख बंदरगाह शहरों में से एक है। इस Metropolitan City में वह सब कुछ है जो किसी भी मौसम में आपंका मन लुभा सकता है जैसे कि मेट्रो शहर की सुविधाएँ, कुदरत की खूबसूरती और यहां का अमेजिंग कल्चर। अगर आप रोमांचक यात्रा करना चाहते हैं या फिर सुकून भरी छुट्टी का लुत्फ उठाना चाहते हैं, यकीन मानिए यहां आपको निराश हाथ नहीं लगेगी।


कोची इंटरनेशनल एयरपोर्ट दिलकश सी जगह है, जो कि अपने रख रखाव में किसी भी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से मुकाबला कर सकता है। बेहद खूबसूरत कोच्चि एयरपोर्ट से चेराई बीच की दूरी 27 किलोमीटर है, अगर आप टैक्सी से जाते हैं तो तकरीबन एक घंटा वहां पहुंचने में लगेगा। चेराई बीच कोच्चि में सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक है। चेराई बीच कोच्चि लोगों को शहर की भीड़-भाड़ से दूर आराम करने का मौक़ा देता है । शाम के समय चेराई बीच पर जाने का सबसे अच्छा वक्त होता है, जहां आप खूबसूरत सूर्यास्त यानी सन सेट देख सकते हैं।

आप यहां से वाइपिन द्वीप भी जा सकते हैं, वाइपिन द्वीप कोच्चि का बहुत मशहूर पर्यटन स्थल है. यह एक अवरोधक द्वीप यानी barrier islands बनाता है जो पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में पेरियार नदी की सहायक नदियों से घिरा हुआ है. यह आइलैंड लगभग 27 किलोमीटर लंबा है और अपनी कुदरती खूबसूरती, प्राचीन समुद्र तटों और मछली पकड़ने वाले गांवों के लिए मशहूर है. वाइपिन द्वीप पर कई पर्यटन स्थल हैं, जैसे कि चेराई बीच भी यहीं पड़ता है, जिसके बारे में मैने ऊपर बताया।


यहां आप Munambam Fishing Harbour भी घूम सकते हैं जो कि कोच्चि का सबसे बड़ा मछली पकड़ने वाला बंदरगाह है। इसके अलावा आप यहां एलमकुन्नापुझा सुब्रह्मण्य मंदिर, चेराई मंदिर, पालथनकुलंगरा देवी मंदिर, अजीकल वराहमूर्ति मंदिर, पुथुवाइप स्थित लाइटहाउस, सहोदरन अय्यप्पन स्मारकम, क्रूज़ मिलग्रेस चर्च, कुझुप्पिली बीच और पल्लीपुरम किला घूम सकते हैं।


इसके अलावा डच पैलेस और बोलघट्टी द्वीप भी घूमने के लिए बेहतरीन जगह हैं। इनके साथ साथ शानदार बैकवाटर से घिरा तथा मानव निर्मित विलिंगडन द्वीप भी बेहद खूबसूरत है। इस द्वीप का नाम भारत के भूतपूर्व ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड वेलिंगडन के नाम पर रखा गया था। यहाँ फोर्ट कोच्चि बीच भी बहुत मशहूर है, साथ ही साथ आप कोडानाड एलिफेंट ट्रेनिंग सेंटर भी जा सकते हैं। केरल कुदरती खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है, अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो कोच्चि मंगलवनम बर्ड सेंचुरी ज़रूर जाइए। और अगर आप कोच्चि आए और मरीन ड्राइव नहीं गए तो फिर क्या ही किया… जल्दी हीं सभी पर्यटन स्थलों पर अलग अलग डीटेल वीडियो बनकर आपके साथ शेयर करूंगा।


कोची इंटरनेशन एयरपोर्ट से हमारे डेस्टिनेशन द जूरी कुमारकोम केरला स्पा एंड रिजॉर्ट की दूरी लगभग 73 किलोमीटर दूर है। अगर आप रेलमार्ग या फिर बस से सफर करना चाहते हैं निकटतम टर्मिनल कोट्टायम में है। 


The Zuri Kumarakom Kerala Spa & Resort पहुंचने पर हमारा स्वागत पारंपरिक नगाड़ों के साथ हुआ। माथे पर तिलक लगाया गया और बेहद लजीज़ नारियल पानी सर्व किया गया। वेम्बनाड झील के शानदार तट पर बसा यह 5-सितारा लग्जरी हेरिटेज रिसॉर्ट केरल में भारत के सबसे शानदार हॉलिडे डेस्टिनेशन में से एक है। यहां का शांत बैकवाटर और हरियाली से भरे नज़ारे आँखों को सुकून देते हैं। यहां खूबसूरती से सजे और करीने से डिज़ाइन किए गएआलीशान कमरे, विला और कॉटेजेस का कलेक्शन है। 


यहां हमारे बजट के एतबार से शानदार लैगून के सामने वाले कमरे या फिर निजी पूल वाले आलीशान विला के ऑप्शन मौजूद हैं। बात करने पर पता चला कि यहां 18 जूरी रूम्स, 16 डीलक्स रूम्स, 28 कॉटेज और 10 प्रेसिडेंशियल पूल विला हैं, यानी कुल मिलाकर 72 रूम्स हैं।


मैंने जूरी रूम लिया था, जिसमें कमरे के साथ आने वाले खूबसूरत निजी बरामदे से ब्लू लैगून के शांत पानी में सुनहरे सूर्योदय को देखते हुए सुगंधित चाय के कप का मज़ा लेना ऐसे यादगार पल में से एक हैं जो कि हमेशा ज़हन में रहने वाले हैं। रिसोर्ट में स्थित माया स्पा में अपने मन, शरीर और आत्मा को तरोताज़ा किया जा सकता है! मानसिक स्वास्थ्य से लेकर एंटी-एजिंग और रेजूवेनेशन तक के लिए आयुर्वेद ट्रीटमेंट का फायदा उठा सकते हैं।


यहां ऐसी कुदरती खूबसूरती बिखरी पड़ी है जो आपका मन मोह लेगी। ऐसे नज़ारों के लिए शारिक़ बल्यावी कहते हैं कि 

हर तरफ़ दावत-ए-नज़ारा है
चश्म-ए-हैरां किधर-किधर देखे


और शकील बदायूंनी कहते हैं कि 

कोई दिलकश नज़ारा हो, कोई दिलचस्प मंज़र हो
तबीअत ख़ुद बहल जाती है, बहलाई नहीं जाती


ब्लू लगून के शांत पानी और कुदरती हरियाली का मिलन ही वो करिश्मा पैदा करता है कि पूरी दुनिया से लोग यहां खींचे चले आते हैं। इस कुदरती खूबसूरती पर दा जूरी के लगजुरियस इंतजाम चार चांद लगा देते हैं। आपको अहसास ही नहीं होता है कि आप वाकई अपनी आंखों से यह चमत्कार देख रहे हैं या फिर कोई ख्वाब देख रहे हैं।


शाम को यहां क्लासिकल प्रोग्राम्स का भी इंतजाम रहता है। यकीन मानिए, इसकी भव्यता और लाइटिंग का कॉम्बिनेशन आपको एक अलग ही अहसास कराएगा। हालांकि हमने अपने ग्रुप के साथ डिनर से पहले चल करने के लिए ऑर्केस्ट्रा के साथ डांस का इंतजाम करवाया था। 


रात के अंधेरे में झील के किनारे की गई लाइटिंग को निहारते हुए इवनिंग वॉक करना भी बेहद अद्भुत है। यहां आए हैं तो हर पल को जीना है, हर मौके का लुत्फ उठाना है, यह सबक अगर सीख लिया तभी आप अपने सफर को कामयाब कर पाएंगे। क्योंकि पता नहीं प्रकृति से यह सीधा साक्षात्कार यानी नेचर से यूं रूबरू होना फिर दुबारा कब मयस्सर हो, इसलिए किसी भी पल को गंवाना नहीं है, हर एक मौके को अपने स्मृति पटल यानि मेमोरी बोर्ड पर कैद करते रहिए। 


सुबह उठने पर देखा कि तो बाहर हल्की हल्की बारिश हो रही है, मैने थोड़ी देर अपने कमरे से बाहर के नज़ारों का लुत्फ उठाया और फिर दरवाज़ा खोलकर बाहर आकर बैठ गया। यहां की शाम जितनी रंगीन थी, सुबह भी उतनी ही दिलकश है। सामने ब्लू लगून वेम्बनाड झील को निहारना बेहद सुकून देता है, यहां पर घंटों बैठा जा सकता है। पर हमने बोटिंग के लिए जाना था, जिसके लिए रिसेप्शन से फोन आ गया। हम रिसेप्शन पर पहुंचे हैं तो फिर से हमारा स्वागत केरल के ट्रेडिशनल ड्रम के साथ किया गया, हमारी टीम के साथी भी उसकी धुनों पर नाचने लगे।


यहां हाउस बोट का भी इंतजाम है, पर हमने रोमांचक स्पीड बोट को चुना है। सबसे पहले हम फिशिंग पॉइंट पर गए और उसके बाद कोकोनट ट्री से तोड़ी तोड़ते हुए देखने का प्लान बनाया गया। यहां स्थानीय मछुआरे फिशिंग के लिए नीचे झील के पानी के अंदर जाते हैं, यह मछली पकड़ने का यहां का ट्रेडिशनल तरीका है।


राइस फील्ड: इस मैन मेड झील के बीच में बचे हिस्से पर चावल की खेती की जाती है, इस हिस्से के दोनों तरफ झील का पानी भरा पड़ा है, इसलिए यहां राइस फार्मिंग बेहद फायदे का सौदा है।


तोड़ी: फिर हम तोड़ी के प्रोसेस को देखने के लिए गए, नारियल के गुच्छों को काटकर निकाले गए तोड़ी के रस को दो तरह से यूज़ किया जा सकता है। तोड़ी के नाम से मशहूर इसका अल्कोहलिक वर्जन हल्का नशीला होता है। जबकि नॉन अल्कोहलिक वर्जन को नीरा कहते हैं, जो कि नारियल से निकलने वाला अन फर्मेंटेड रस है जिसे अक्सर स्वीट तोड़ी भी कहा जाता है। यह नारियल के एमेच्योर इन-फ्लो-रेसेंस से मिलता है। हालांकि इसकी शेल्फ लाइफ 4 या 5 घंटा ही होती है। इसके बाद यह फर्मेंटेड होना शुरू हो जाता है।


तोड़ी निकालने वाले नारियल के पेड़ पर रस्सी बांधकर उसे सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करते हैं। तोड़ी के फूल की बंद कलियों को हल्का सा काटा जाता है, मतलब 95% को पेड़ पर ही छोड़ दिया जाता है। इसके बाद कली को फूलने के लिए हथौड़े से पीटा जाता है और रस को इकट्ठा करने के लिए मिट्टी के बर्तन लगाए जाते हैं, जिसमें यह दूधिया रस इकट्ठा होता रहता है। जिसे बाद में नीचे उतार लिया जाता है। जिस रस से तोड़ी बनानी है उसे हल्का सा Fermented होने के लिए छोड़ दिया जाता है। जितना ज़्यादा देर तक यह Fermented होता है, उतनी ही ज्यादा उसमें अल्कोहल बनती जाती है। इसके बाद तोड़ी को कांच की बोतलों में पैक करके लाइसेंस वाली दुकानों में बेचा जाता है। तोड़ी में लगभग 8% अल्कोहल होती है और इसे केरल में प्राकृतिक शराब और हेल्थी ड्रिंक माना जाता है।


यहां से हम वापिस जा जाते हुए रास्ते में एक जगह रुककर हमने लंच किया और फिर वहां से वापिस रिजॉर्ट के लिए निकल गए। बोट से उतरने पर ट्रेडिशनल ड्रम के साथ टीम तैयार थी, पर इस बार हमारे ग्रुप ने जिनसे ड्रम लेकर अपने हाथ अज़माना शुरू कर दिया। काफी थक गए थे, इसलिए रूम पर जाकर आराम करने का प्लान बनाया गया, शाम का प्लान स्नेक बोट में जाने का था, पर अब वो कल सुबह घर वापिसी से पहले का प्लान बनाया गया है।


स्नेक बोट: ओणम फेस्टिवल पर होने वाली स्नेक बोट रेस के बारे में आपने ज़रूर सुना होगा, सुबह-सुबह  सेंक बोट रेस में हिस्सा लिया और उसके बाद फिर वापिस दिल्ली के निकल गए।

केरल अपने मसालों के लिए बहुत मशहूर है, अगर आप केरल घूमने आए हैं तो वापसी में यहां के शुद्ध और ताज़ा मसाले साथ के जाना नहीं भूलें और यह भी याद रखना है कि मसालों के चेक इन बैगेज में ही पैक करें, बहुत से मसालों को हैंड केरी में ले जाना अलाउड नहीं होता है।

तो आज के लिए इतना ही, एक नए सफर के साथ जल्द ही मिलते हैं!


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